भारत अपने उच्च तकनीक को अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और किफायती स्वास्थ्य देखभाल समाधान के कारण वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में उभर रहा है। जिसका उदाहरण है COVID-19 महामारी में भारत द्वारा उत्पादित दवाई का विश्व भर में निर्यात। पश्चिम में भारी स्वास्थ्य ढांचे और उच्च लागत के कारण भारत एक चिकित्सा पर्यटन के लिए एक गंतव्य बन रहा है।
India as a Global Health Hub
संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी जीडीपी का 29% हेल्थकेयर पर निवेश करता है तो वही इंग्लैंड अपनी जीडीपी का 12% हेल्थकेयर पर इन्वेस्ट करता है परंतु भारत की बात करें तो भारत हेल्थकेयर पर सिर्फ अपनी जीडीपी का 3% ही निवेश करता है।
अमेरिका और इंग्लैंड में हेल्थकेयर प्रणाली पर इतनी निवेश के बावजूद भी वहां के रोगी असंतुष्ट महसूस करते हैं। जिसके कारण वह इलाज के लिए भारत आते हैं। यूरोप और अमेरिका के कई देशों के मरीज भारत में नियमित रूप से आ रहे हैं। क्योंकि विदेशों की तुलना में भारत की स्वास्थ्य सेवाओं की लागत सस्ती है। वे सर्जरी, लिवर प्रत्यारोपण, दंत चिकित्सा और यहां तक कि कॉस्मेटिक देखभाल के लिए भी आते हैं। वर्ष 2004-05 में, 1,50,000 विदेशियों ने इलाज के लिए भारत का दौरा किया। चेन्नई शहर को भारत की स्वास्थ्य सेवा राजधानी के रूप में जाना जाता हैं।
परंतु वर्तमान समय में देखे, तो वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं को परिदृश्य निरंतर विकसित हो रहा है तथा भारत को भी अपने स्वास्थ्य केंद्रों को विकसित कर भी रहा हैं ताकि भारत एक वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र के रूप (India as a Global Health Hub) में उभर सके। सर्वप्रथम भारत कुशल स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराएं तथा चिकित्सा पर्यटन को भी बढ़ावा दें।
अध्ययनों की मानें तो भारत में उपलब्ध कम लागत वाले उपचारों के कारण यह 20 कल्याण पर्यटन (Wellness tourism) और बाजारों में सातवें स्थान पर है जिसमें चिकित्सा मूल्य पर्यटन के लिए भारत में 560 लाख से अधिक यात्राओं के साथ 16.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का राजस्व (Revenue) प्राप्त हुआ हैं। तथा भारत एशिया पेसिफिक में कल्याण केंद्र देशों में भी तीसरे स्थान पर है।
साल दर साल बीमारियों का बोझ तेजी से बढ़ता जा रहा है।(The Burden of the Disease Gradually Rises year after year)
एक अध्ययन के अनुसार केवल अमेरिका में कैंसर, अवसाद (Depression), अल्जाइमर (Alzheimer's) और उच्च रक्तचाप (Hypertension) जैसे रोगों का खर्च 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक हो जाएगा। यह अपने-अपने एक चिंताजनक मुद्दे को दर्शाता है। यदि हम इन चार बीमारियों का आधार भारत में देखें तो भारत में 2030 तक 65 अरब डॉलर से अधिक का बोझ बढ़ जाएगा।
- गैर-संचारी रोग {Non-Communicable Diseases (NCDs)}
बदलती जीवन शैली, Unhealthy diet, शारीरिक गतिविधियों की कमी और बढ़ते शहरीकरण के कारण हृदय रोग, स्टॉक, मधुमेह और कैंसर जैसे उनके संचारी रोग भारत में बीमारी के भोज के प्रमुख योगदानकर्ता बन गए हैं।
- संक्रामक रोग (Infectious Diseases)
हाल के वर्षों में ट्यूबरक्लोसिस, मलेरिया जैसे संक्रामक रोगों का बोझ कम नहीं हुआ है वहीं भारत में अभी भी संक्रामक रोगों का एक बड़ा बोझ बना हुआ हैं। तथा हम सभी कोविड-19 महामारी से परिचित हैं। यह एक संक्रामक रोग है।
- मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य (Maternal and Child Health)
प्रस्तुत अध्ययन के अनुसार 2000 से 2015 तक प्रति 1000 जीवित जन्मों में भारत में बाल मृत्यु दर उच्च है। भारत में शिशु को जन्म देने वाली माता में कुपोषण देखने को मिलता है।
- मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health)
वर्तमान समय में depression, anxiety और मादक द्रव्य के सेवन ऐसी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति पूरे विश्व के साथ-साथ भारत में भी बीमारियों के बोझ को बढ़ाने में योगदान दे रही हैं तथा मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में अधिक से अधिक जागरूकता शिक्षा और निवेश की आवश्यकता है।
चुनौतियां (Challenges)
भारत को एक वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र बनाने में अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिसमें से मुख्य चुनौतियों निम्नलिखित हैं:
- स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना ( Access to Healthcare)
- स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता (Quality of Healthcare)
- स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश (Investment in Health Infrastructure )
- हेल्थकेयर फाइनेंसिंग (Health Financing)
- हेल्थकेयर मानव संसाधन (Health care Human Resources)
- स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना ( Access to Healthcare)
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती में से एक स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की सीमित पहुंच है भारत एक विशाल और विविध आबादी वाला देश है और आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ग्रामीण तथा दूरदराज इलाकों में रहता है जहां स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना आवश्यक है खासकर आपात स्थितियों में।
- स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता (Quality of Healthcare)
भारत संपूर्ण विश्व में अपने अत्यधिक कुशल चिकित्सा पेशेवरों के उत्पादन के लिए जाना जाता है परंतु देश के कुछ हिस्सों में आज भी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता एक चिंता का विषय बना हुआ है कुछ अस्पतालों में चिकित्सा लापरवाही के उदाहरण समय-समय पर सामने आते रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप लोगों की जान चली गई और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों की प्रतिष्ठा को भी हानि पहुंचे तथा स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता के मुद्दे को संबोधित करने की आवश्यकता है।
- स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश (Investment in Health Infrastructure)
भारत ने स्वतंत्रता के पश्चात से ही स्वास्थ्य के क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के निर्माण में महत्वपूर्ण निवेश करता आया है लेकिन देश के कई हिस्से आज भी अस्पतालों की कमी से जूझ रहे हैं जिस तरह शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध है उसी तरह ग्रामीण व पिछड़े इलाकों में भी अस्पताल तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बुनियादी ढांचे के अंतर को दूर करने के लिए निवेश तथा नीतिगत परिवर्तन की आवश्यकता है। AIIMS अस्पतालों जैसी सुविधा भारत के विभिन्न राज्यों में मुहैया कराना।
- हेल्थकेयर फाइनेंसिंग (Health Financing)
आज भी भारत की आबादी का एक हिस्सा स्वास्थ्य बीमा की पहुंच से दूर है सरकार ने इस समस्याओं के समाधान के लिए कई स्वास्थ्य बीमा योजनाएं भी शुरू किए। लेकिन कवरेज अभी तक सीमित है लोगों की स्वास्थ्य बीमा तक पहुंच सुनिश्चित कराने की आवश्यकता है ताकि आबादी के सभी वर्ग गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकें।
- हेल्थकेयर मानव संसाधन (Health Care Human Resources)
भारत के कई क्षेत्रों में नर्सों डॉक्टरों और संबंध स्वास्थ्य कर्मियों सहित स्वास्थ्य पेशेवरों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में विशेष रुप से दे रहा है इस कमी को दूर करने के लिए सरकार को स्वास्थ्य देखभाल शिक्षा और प्रशिक्षण में निवेश करने की आवश्यकता है।
आगे बढ़ाने के रास्ते (Way Forward)
भारत दुनिया शीर्ष पाँच अर्थव्यवस्था में से एक है तथा भारत के युवा और गतिशील श्रमबल के रूप में पहचाना जाता है तथा भारत अपने युवा और श्रमबल के कौशल विकास पर अनुकूल निवेश कर रहा है। कुछ समय पहले भारत के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी घोषणा करते हुए सरकार द्वारा 157 नर्सिंग कॉलेज स्थापना करने की बात की। भारत को एक वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में उबारने के समक्ष चुनौतियों का सामना करने के उपाय निम्नलिखित हैं:
- डिजिटलीकरण (Digitalization)
- घरेलू बाजार का लाभ उठाना (Leveraging Domestic Market)
- मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing)
- पारंपरिक प्रथाओं पर ध्यान (Focusing on Traditional Practice)
- समर्पित व्यापार मिशन ओं का आयोजन करना (Organizing Dedicate Trade Mission)
- स्वास्थ्य शिक्षा में निवेश को बढ़ाना (Increasing Investment in Health Education)
- स्वास्थ्य देखभाल केंद्र बनाना (Setting up a Health care Center)
- निजी क्षेत्र की भूमिका (Role of Private Sector)
- डिजिटलीकरण (Digitalization)
डिजिटलीकरण के द्वारा भारत अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों में अधिक पारदर्शिता और दक्षता में समग्रता से सुधार कर सकता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत के भीतर तेजी से डिजिटलीकरण बढ़ा है। इसी में एक आगे कदम बढ़ाते हुए डिजिटलीकरण नए स्वास्थ्य उपकरणों, प्लेटफार्म और उपचारों के नवाचार और सत्यापन के लिए स्वास्थ्य डेटा संग्रह को सक्षम कर सकता है। परंतु स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए डिजिटल परिवर्तन एक महंगा उपाय है साथ ही digitalizing का कार्य में प्रशिक्षण के लिए धन की आवश्यकता होगी।
- घरेलू बाजार का लाभ उठाना (Leveraging Domestic Market)
भारत एक वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में उबरने के लिए अपने घरेलू बाजार का लाभ उठाना जरूरी है तथा भारत के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना। भारत एक विशाल देश है तथा विशाल देश होने के नाते भारत वैश्विक स्तर पर प्रसांगिक स्वास्थ्य देखभाल के समाधान को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण और लॉन्च करने के लिए घरेलू बाजार का लाभ उठा सकता है।
- मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing)
भारत के भीतर मजबूत कच्चे माल की आपूर्ति और विनिर्माण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। तथा भारत में छोटे चिकित्सा उपकरणों का निर्माण शुरू होना चाहिए। ताकि अन्य देशों पर हमारी raw material की निर्भरता को कम किया जा सके।
- पारंपरिक प्रथाओं पर ध्यान (Focusing on Traditional Practice)
प्राचीन काल से ही भारत में आयुर्वेद, योग, शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक कल्याण का केंद्र रहा है यदि भारत इन परंपरिक प्रथाओं को विश्व स्तर पर विकसित कर सकता है।भारत एक वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र बनने में सहायक साबित होगा।
- समर्पित स्वास्थ्य मिशन का आयोजन करना (Organizing Dedicate Health Mission)
जिस तरह विभिन्न द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय व्यापार सम्मेलनोंलो आयोजन होता है। उसी प्रकार विश्व के विभिन्न देशों के साथ समर्पित स्वास्थ्य मिशनों का आयोजन करना तथा जिससे द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय स्वास्थ्य चिकित्सा पर्यटन और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना। यह समर्पित स्वास्थ्य मिशन चिकित्सा पर्यटन को भारत को एक ग्लोबल हेल्थकेयर हब बनाने में सहायक होगा।
- स्वास्थ्य शिक्षा में निवेश को बढ़ाना (Increasing Investment in Health Education)
भारत के स्वास्थ्य शिक्षा संस्थानों में रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा देना तथा तकनीक और व्यवसायिक दोनों में निवेश करना ताकि कुशल श्रम शक्ति का निर्माण किया जा सके। भारत में 95% से अधिक स्वास्थ्य सुविधाएं अपर्याप्त हैं जो गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित कराने के लिए एक विशाल चुनौती है। भारत का लक्ष्य अगले 10 वर्षों में 600,000 डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए 200 नए चिकित्सा संस्थानों का निर्माण करना है।
- स्वास्थ्य देखभाल केंद्र बनाना (Setting up a Health care Center)
भारत एक विशाल आबादी वाला देश है तथा संपूर्ण जनता तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित कराने के लिए देशभर में कुछ रणनीतिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने की आवश्यकता है। यह सभी क्षेत्रों के विकास का समर्थन करने के लिए उपकरणों, निर्माताओं, प्रौद्योगिकी फ्लेटफॉर्म्स, अनुसंधान, प्रयोगशाला और शिक्षाविदों को एक साथ लाएगा। तथा ऐसे स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों का निर्माण करना है जहां वीकर सेक्शंस (Weaker Sections) के लिए विशेष सुविधाएं हो। साथ ही गरीब और अमीर राज्यों के बीच स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में बढ़ती असमानता को कम करना
निजी क्षेत्र की भूमिका (Role of Private Sector)
सरकार को स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचा में निवेश बीमारी के रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रमों के लिए अत्यधिक निवेश करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। जिसमे निजी क्षेत्र की भूमिका (Public-private partnership) एक कुशल समाधान साबित हो सकता है।
1 Comments
Well articulate ☺️
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